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Mother's Day Special : बिन शादी 200 बालकों की माता बनी है यह दो महिलाएं

  • लेखक की तस्वीर: Patrakar Online
    Patrakar Online
  • 8 मई 2022
  • 2 मिनट पठन

स्टाइल


अनाथ बालकों का जीवन संवारने के लिए अनिताबेन और शारदाबेन ने कर दिया अपना सारा जीवन न्यौछावर, कई बच्चे विदेश में जाने के बाद भी करते है फोन



हर महिला अपने बच्चे की फूल की तरह देखभाल करती है और अपनी मां का फर्ज निभाती है। लेकिन कुछ महिलाएं मां बन जाती हैं। लेकिन वह अपनी खुशी का आनंद लेने के बजाय बच्चे को छोड़ देती है। ऐसे बच्चों के लिए अहमदाबाद के महिपत्रम रूपराम आश्रम में दो महिलाएं इन अनाथ बच्चों की मां बनकर यशोदा बन गई और बच्चों को प्यार से पालकर खुशी और गर्मजोशी देती हैं। जन्म ना देने के बावजूद अनिताबेन और शारदाबेन सैंकड़ों बच्चों का लालन पालन कर रही है। इन अनाथों के पीछे अनीताबेन परमार और शारदाबेन पटेल ने अपनी जान कुर्बान कर दी है। पिछले 30 साल से आश्रम में रहने के कारण उन्होंने बच्चों के पीछे जीवन बिताने के लिए शादी भी नहीं की है। इन दोनों महिलाओं ने कई लड़कियों की शादी करके अपनी ही बेटियों की तरह पालने-पोसने की जिम्मेदारी निभाई है। ये बेटियां आज भी अपनी मां को याद करती हैं और फोन करके मिलने आती हैं।


अनीताबेन परमार पिछले 30 सालों से अहमदाबाद के रायपुर स्थित महीपत्रम रूपराम आश्रम में अनाथों के लिए केयरटेकर का काम कर रही हैं। अनीताबेन जब 21 साल की थीं, तब उन्होंने महिपत्रम आश्रम में प्रवेश लिया। वह वर्तमान में 51 साल की उम्र में बच्चों की परवरिश कर रहे हैं। अनीताबेन परमार ने दिव्या भास्कर से बातचीत में कहा कि साल 1992 में जब मैं छोटी थी तो इस आश्रम में आई थी और तब से छोटे बच्चों की देखभाल कर रही हूं। यहां हम एक मां को बचाते हैं जो एक छोटे बच्चे को पाल रही है। ऐसे अनाथ बच्चों को आश्रम से गोद लिया जाता है। वे अपने नए माता-पिता के साथ न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी जाते हैं यानी अमेरिका, स्पेन, स्वीडन जैसे देशों में। लेकिन वह भी हमें याद करते हैं और मिलने आते हैं और फोन भी करते हैं।

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