top of page

सुलगता सवाल : 70 फीसदी स्कूलों में मैदान, व्यायाम शिक्षक नहीं तो कैसे खेलेगा गुजरात?

  • लेखक की तस्वीर: Patrakar Online
    Patrakar Online
  • 20 फ़र॰ 2022
  • 1 मिनट पठन


ree


खेल विश्वविद्यालयों के लिए अब भी चल रही है जमीन की तलाश



गुजरात का खेल जगत में डंका बजेगा का सपना दिखाने वाली सरकार ने बिना आधार के स्कूलों को अनुमति देकर परोक्ष रूप से बच्चों के स्वास्थ्य और अधिकारों को कुचला है।


शिक्षा के साथ-साथ खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य में खेल विश्वविद्यालयों का विज्ञापन किया गया था जिसे अब भी जमीन की तलाश है। तो गुजरात को खेल जगत में खेलने का सपना देख रही सरकार को खुद ही सोचना चाहिए कि बिना मैदान के स्कूल को मंजूरी देकर वह परोक्ष रूप से बच्चों के स्वास्थ्य और खेल खेलने के अधिकार को रौंद रही है।



शिक्षा अधिनियम 1947, 1949 के विनियमों के अनुसार प्रत्येक शिक्षण संस्थान के लिए खेल का मैदान होना अनिवार्य है। बिना खेल के मैदान के शैक्षणिक संस्थान को मान्यता भी नहीं दी जाती है। ओलंपिक के दौरान खेलों के प्रति जुनून को जल्द ही भुला दिया जाता है लेकिन सरकारी स्कूलों के साथ-साथ निजी स्कूलों में भी खेलों को बढ़ावा नहीं दिया जाता है।


जब श्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने खेल महाकुंभ की शुरुआत की थी और अब हर साल खेल महाकुंभ का आयोजन किया जाता है लेकिन वास्तविकता कुछ अलग है. साथ ही, अगर निजी स्कूलों में जिमनास्टिक के शिक्षक नहीं हैं, तो बच्चों को जिमनास्टिक कहां पढ़ाया जाएगा और ओलंपिक का सपना कहां देखेंगे बच्चे?






टिप्पणियां


Subscribe to Our Newsletter

Thanks for submitting!

  • White Facebook Icon

© 2023 by TheHours. Proudly created with Wix.com

bottom of page